मेदिनीनगर (पलामू): झारखंड का आपराधिक जगत लंबे समय से जिस नाम से कांप उठता था, उस नाम ने आखिरकार हथियार डाल दिए। गौतम कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह, जो पलामू समेत झारखंड के कई जिलों में आतंक का दूसरा नाम बन चुका था, ने पुलिस अधीक्षक रीष्मा रमेशन के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।
यह कदम न सिर्फ पलामू पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि झारखंड की कानून-व्यवस्था के लिए भी ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।
कौन है डब्लू सिंह?
डब्लू सिंह का असली नाम गौतम कुमार सिंह है। वह मूल रूप से लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के फुलांग गांव का रहने वाला है।
सन 2006-07 में वह अपराध की दुनिया में कदम रखा और धीरे-धीरे संगठित आपराधिक गिरोह का सरगना बन गया।
उसका अपराध नेटवर्क
पलामू
गढ़वा
लातेहार
चतरा
हजारीबाग
रामगढ़
रांची
जमशेदपुर
यानी लगभग आधे झारखंड में उसका नेटवर्क सक्रिय था।
पुलिस रिकॉर्ड और अपराध
पलामू पुलिस के अनुसार डब्लू सिंह पर 37 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण और हथियारबंद हमले जैसे संगीन अपराध शामिल हैं।
🔸 सबसे चर्चित मामला – 3 जून 2020 को मेदिनीनगर टाउन थाना क्षेत्र में कुख्यात गैंगस्टर कुणाल सिंह की हत्या हुई। इस हत्याकांड का आरोप डब्लू सिंह के गिरोह पर लगा। इसके बाद से वह लगातार फरार चल रहा था और पुलिस उसकी तलाश में दबिश देती रही।
क्यों बना गैंगस्टर?
गांव के साधारण परिवार से आने वाले गौतम उर्फ डब्लू सिंह का अपराध की ओर झुकाव किशोरावस्था में ही शुरू हो गया था।
शुरुआत में वह छोटी-मोटी रंगदारी और मारपीट के मामलों में शामिल हुआ। धीरे-धीरे उसका नेटवर्क मजबूत हुआ और वह स्थानीय अपराधियों को जोड़कर गिरोह का सरगना बन गया।
आपराधिक करियर की खासियत
पुलिस और विरोधियों पर हमला करने से कभी नहीं डरता था।
कारोबारी, ठेकेदार और राजनेता तक उससे भयभीत रहते थे।
“डर का कारोबार” ही उसकी असली ताकत थी।
आत्मसमर्पण क्यों?
लंबे समय तक फरार रहने और पुलिस की लगातार दबिश के कारण डब्लू सिंह का गिरोह कमजोर पड़ता गया।
दूसरी तरफ, परिवार पर दबाव और सामाजिक दबाव ने भी उसे आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
आत्मसमर्पण का पल
डब्लू सिंह ने मेदिनीनगर में पुलिस अधीक्षक रीष्मा रमेशन के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
इस दौरान उसने हथियार डालते हुए कहा कि वह अब मुख्यधारा में शामिल होकर नई जिंदगी शुरू करना चाहता है।
पुलिस का बयान
पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा—
👉 “गौतम कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया है। यह झारखंड में पहला मौका है जब इतना बड़ा आपराधिक गिरोह का सरगना स्वेच्छा से हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने जा रहा है।”
समाज और राजनीति पर असर
डब्लू सिंह का नाम सिर्फ अपराध जगत में ही नहीं, बल्कि स्थानीय राजनीति और कारोबार में भी दखल रखता था।
कई बार चुनावी माहौल में उसका नाम लिया गया। लोग कहते हैं कि उसका नेटवर्क इतना मजबूत था कि वह निर्णय कराने में सक्षम था।
जनता की प्रतिक्रिया
गांव और शहर के लोगों के लिए यह खबर राहत की सांस है। कई लोग कहते हैं कि वर्षों बाद उन्हें लगता है कि पलामू और आसपास का इलाका थोड़ा सुरक्षित हुआ है।
विशेषज्ञों की राय
अपराधशास्त्रियों का मानना है:
आत्मसमर्पण से अपराध का ग्राफ कुछ हद तक कम हो सकता है।
लेकिन यह तभी असरदार होगा जब डब्लू सिंह सच में अपराध की दुनिया से नाता तोड़ दे।
पुलिस और प्रशासन को चाहिए कि उसे पुनर्वास और पुनर्व्यवस्था का मौका दे।
वकीलों की नजर से
डब्लू सिंह पर 37 मामले दर्ज हैं। अब उसे कानून की प्रक्रिया से गुजरना होगा। अदालत में केस चलेंगे और उसके आधार पर सजा तय होगी।
झारखंड की अपराध दुनिया में बदलाव का संकेत
डब्लू सिंह का आत्मसमर्पण सिर्फ एक व्यक्ति का फैसला नहीं है, बल्कि यह झारखंड के अपराध जगत में एक बड़े बदलाव का संकेत भी है।
यह संदेश जाता है कि—
अपराध का रास्ता लंबा नहीं होता।
अंततः कानून का शिकंजा कसता है।
चाहे कितना भी बड़ा गैंगस्टर क्यों न हो, पुलिस और कानून से बच नहीं सकता ।
भविष्य की चुनौती
अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या डब्लू सिंह सच में मुख्यधारा की जिंदगी जी पाएगा?
क्या उसका गिरोह पूरी तरह खत्म हो जाएगा?
या फिर उसकी अनुपस्थिति में कोई नया गैंगस्टर पैदा होगा?
निष्कर्ष
गौतम कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह का आत्मसमर्पण झारखंड की पुलिस और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
पलामू के लोग राहत की सांस ले रहे हैं।
लेकिन असली परीक्षा अब शुरू होगी—जब अदालत उसका भविष्य तय करेगी और समाज यह देखेगा कि क्या वह सचमुच सुधार की राह पर चलता है या फिर पुरानी आदतें दोहराता है।
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