मेदिनीनगर, पलामू, झारखंड: छतरपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम चिल्होकला में एक बड़े नकली शराब निर्माण और वितरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर एक सुनियोजित छापेमारी अभियान चलाया, जिसमें भारी मात्रा में नकली शराब, ब्रांडेड बोतलों के नकली स्टिकर, ढक्कन, और अन्य सामग्री बरामद की गई।
इस मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति, राजेश सिंह को गिरफ्तार किया है, जो कथित रूप से इस पूरे नकली शराब रैकेट का मुख्य संचालक बताया जा रहा है।
क्या-क्या बरामद हुआ?
छापेमारी के दौरान पुलिस ने जो सामग्री जब्त की, उसकी सूची चौंकाने वाली है:
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2000 से अधिक नकली शराब की बोतलें,
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11 लरी नकली स्टिकर (ब्रांडेड शराब कंपनियों के नाम पर),
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3000 से अधिक ढक्कन,
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200 खाली बोतलें,
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शराब की पैकिंग और सील करने की मशीनें,
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अवैध रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल्स।
पुलिस ने बताया कि इन बोतलों को इम्पीरियल ब्लू, रॉयल स्टैग, स्टीरलिंग रिजर्व, और रॉयल गोल्ड अप जैसे नामी ब्रांड्स के नाम पर तैयार किया जा रहा था। यह नकली शराब आम लोगों को असली ब्रांड समझकर बेची जा रही थी।
कैसे हुआ भंडाफोड़?
पुलिस को इस अवैध गतिविधि की गुप्त सूचना कुछ दिन पहले मिली थी। सूचना पर विश्वास करते हुए छतरपुर थाना प्रभारी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। जब पुलिस टीम ने चिल्होकला गांव में राजेश सिंह के घर पर छापा मारा, तो अंदर का नजारा बेहद चौंकाने वाला था।
घर को एक मिनी-फैक्ट्री का रूप दिया गया था, जहां नकली शराब का बड़े पैमाने पर उत्पादन और पैकिंग की जा रही थी। मौके पर शराब बनाने में उपयोग की जाने वाली सभी सामग्री, मशीन और रॉ मटेरियल मौजूद था।
गिरफ्तार आरोपी ने किए कई खुलासे
गिरफ्तार राजेश सिंह से जब पुलिस ने गहन पूछताछ की, तो उसने इस नेटवर्क से जुड़े कई अन्य तस्करों और सप्लायर्स के नाम उजागर किए। उसने यह भी बताया कि यह शराब आसपास के जिलों के साथ-साथ बिहार और उत्तर प्रदेश में भी खपाई जाती थी।
इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने अन्य संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है और फरार आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस का मानना है कि यह एक अंतर-राज्यीय नकली शराब तस्करी गिरोह हो सकता है।
कानूनी धाराएं और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने राजेश सिंह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिनमें शामिल हैं:
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धारा 272 – खाद्य या पेय पदार्थों में मिलावट,
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धारा 273 – खतरनाक या हानिकारक खाद्य पदार्थ बेचने का अपराध,
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धारा 420 – धोखाधड़ी,
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धारा 467/468 – जालसाजी,
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आबकारी अधिनियम के तहत केस, नकली शराब बनाना, रखना और बेचने के लिए।
इसके साथ ही, पुलिस विभाग ने आबकारी विभाग से भी समन्वय किया है ताकि तकनीकी सहायता ली जा सके और जांच को गति दी जा सके।
स्वास्थ्य और सामाजिक खतरे
नकली शराब न सिर्फ अवैध है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक भी हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की शराब में मेथनॉल (Methanol) जैसी जहरीली रसायन की मिलावट की जाती है, जो पीने वाले की आंखों की रोशनी तक छीन सकती है या उसकी जान ले सकती है।
ऐसे मामलों में कई बार जहरीली शराब से मौतें भी हो चुकी हैं। यह मामला एक चेतावनी है कि लोग सस्ती शराब या ब्रांडेड लेबल देखकर बिना जांच के कोई भी उत्पाद न खरीदें।
स्थानीय लोगों में डर और रोष
इस घटना के सामने आने के बाद चिल्होकला गांव और आस-पास के इलाके में डर और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अंदाजा नहीं लगा पा रहे थे कि उनके गांव में इतना बड़ा अवैध धंधा चल रहा है।
कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस की कार्रवाई की सराहना की और मांग की कि ऐसे तस्करों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि दूसरों के लिए यह उदाहरण बने।
प्रशासन और सरकार की भूमिका
इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लिया है। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ऐसे मामलों में अभियान चलाकर अवैध शराब के स्रोतों का जड़ से सफाया किया जाएगा।
सरकार द्वारा चलाए जा रहे “नशा मुक्ति अभियान” के तहत इस तरह की कार्रवाई एक मजबूत कदम है, लेकिन जरूरी है कि स्थायी समाधान की दिशा में भी कार्य किया जाए।
क्या करें आम लोग?
इस घटना से एक बार फिर साफ हुआ कि आम जनता को भी सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है। यदि किसी को अपने इलाके में संदिग्ध गतिविधियां दिखें जैसे:
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ब्रांडेड शराब का सस्ते दाम में बिकना,
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बिना लाइसेंस के शराब की दुकान,
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रहस्यमय तरीके से बोतलों का आना-जाना,
तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
निष्कर्ष
मेदिनीनगर का यह मामला झारखंड समेत पूरे देश के लिए एक गंभीर चेतावनी है। नकली शराब का व्यापार न सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि यह समाज को अंदर से खोखला कर रहा है। ऐसे अपराधियों को पकड़ने और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
पुलिस की तत्परता और सजगता ने एक बड़े हादसे को होने से पहले रोक दिया, लेकिन जरूरत है कि समाज, प्रशासन और जनता मिलकर इस जहर के कारोबार को खत्म करें।
“सतर्क रहें, जागरूक रहें, और समाज को नशामुक्त बनाने में योगदान दें।”
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