Jharkhand Explosives Recovery from Saranda Forest:
27 मई 2025 को नक्सलियों ने ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के केबलांग थाना क्षेत्र स्थित बांको पत्थर खदान से 200 पैकेट विस्फोटक सामग्री लूट ली थी। यह विस्फोटक सामग्री मुख्य रूप से जिलेटिन स्टिक और डेटोनेटर थे। नक्सलियों ने इन विस्फोटकों को झारखंड के सारंडा जंगल के तिरीलपोशी इलाके में मिट्टी के नीचे छिपाकर रखा था। सुरक्षा बलों ने कोबरा बटालियन और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की संयुक्त टीम के साथ मिलकर इस क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया और इन विस्फोटकों को बरामद किया।
इससे पहले, 30 मई 2025 को भी झारखंड पुलिस ने सारंडा जंगल से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। इन दोनों घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि नक्सलियों ने विस्फोटकों का बड़ा जखीरा इकट्ठा किया था, जिसे वे सुरक्षा बलों पर हमले के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई
राउरकेला पुलिस रेंज के एसपी नितेश वाधवानी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने सारंडा जंगल में गहन तलाशी अभियान चलाया, जिसमें कोबरा बटालियन और CRPF की संयुक्त टीम शामिल थी। इस अभियान के दौरान नक्सलियों के कई बंकरों को भी ध्वस्त किया गया और विस्फोटकों के साथ-साथ अन्य आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई। इससे नक्सलियों की एक बड़ी साजिश को नाकाम किया गया।
ओडिशा पुलिस की भूमिका
ओडिशा पुलिस ने भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाई। पुलिस महानिदेशक योगेश बहादुर खुरानिया ने घटनास्थल का दौरा किया और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। इसके अलावा, ओडिशा के विशेष संचालन समूह (SOG), जिला स्वैच्छिक बल (DVF), भारत रिजर्व बटालियन (IRB), CRPF और झारखंड की विशेष इकाई Jaguars की संयुक्त टीम ने तलाशी अभियान में भाग लिया। इस संयुक्त प्रयास से अब तक लूटी गई विस्फोटक सामग्री का लगभग 30% हिस्सा बरामद किया जा चुका है।
जांच और भविष्य की रणनीति
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए, ओडिशा पुलिस ने एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भी शामिल है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि खदान के मालिक ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था, जिससे नक्सलियों के लिए विस्फोटकों की लूट संभव हो पाई। इसके अलावा, नक्सलियों ने खदान के CCTV DVR को भी हटा लिया था, जिससे जांच में बाधा उत्पन्न हुई।
सुरक्षा बलों ने इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कड़ी निगरानी और सुरक्षा उपायों को लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत खदानों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बलों की गश्त बढ़ाई जाएगी और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा।
निष्कर्ष
सारंडा जंगल से विस्फोटकों की बरामदगी और ओडिशा से उनकी लूट यह दर्शाती है कि नक्सलियों ने अपनी गतिविधियों को और अधिक संगठित और खतरनाक बना लिया है। हालांकि सुरक्षा बलों की सतर्कता और संयुक्त प्रयासों से इस साजिश को नाकाम किया गया, लेकिन भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए और भी कड़ी सुरक्षा और निगरानी की आवश्यकता है। यह घटना यह भी बताती है कि नक्सलियों की गतिविधियों पर काबू पाने के लिए राज्य और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग आवश्यक है।
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