पलामू: झारखंड के पलामू जिले में फोर्थ ग्रेड पदों पर बहाली को लेकर पिछले कुछ सप्ताहों से लगातार विवाद बना हुआ था। इस बहाली प्रक्रिया को लेकर न सिर्फ अभ्यर्थियों में असंतोष था, बल्कि यह मामला राजनीतिक गलियारों और प्रशासनिक महकमों तक भी पहुँच गया। अंततः झारखंड सरकार ने 585 पदों पर होने वाली इस बहाली को स्थगित करने का फैसला लिया है।
यह लेख इस पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी देता है—विज्ञापन जारी होने से लेकर विरोध प्रदर्शन, बर्खास्त अनुसेवकों की नाराजगी, स्थानीयता का विवाद, सुप्रीम कोर्ट का असर और अंततः सरकार के फैसले तक। साथ ही, इसमें हम यह भी देखेंगे कि आगे की संभावनाएं क्या हैं।
बहाली प्रक्रिया की शुरुआत
13 जून 2025 को पलामू जिला प्रशासन द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें कुल 585 फोर्थ ग्रेड पदों पर बहाली की घोषणा की गई। इनमें शामिल पद निम्नलिखित विभागों में थे:
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समाहरणालय: 132 पद
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जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय: 273 पद
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स्वास्थ्य विभाग: 151 पद
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जिला सहकारिता कार्यालय: 03 पद
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वन प्रमंडल कार्यालय: 26 पद
यह बहाली लंबे समय से लंबित पड़ी थी, और बेरोजगार युवाओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर मानी जा रही थी।
विवाद की शुरुआत: मेरिट बनाम मैट्रिक
विज्ञापन जारी होते ही विवाद की नींव रखी गई। बहाली की मेरिट सूची मैट्रिक के अंकों के आधार पर तैयार की जानी थी। कई अभ्यर्थियों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि यह प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं है क्योंकि इसमें उच्च शिक्षा या अन्य योग्यता को कोई वरीयता नहीं दी गई थी।
स्थानीयता का मुद्दा
दूसरा बड़ा विवाद स्थानीयता को लेकर खड़ा हुआ। विज्ञापन में स्थानीय अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं था, जिससे गैर-स्थानीय लोगों को भी आवेदन का मौका मिल रहा था। इससे स्थानीय युवाओं में असंतोष और आक्रोश बढ़ गया।
बर्खास्त अनुसेवकों का आंदोलन
इस बहाली प्रक्रिया के विरोध में 251 बर्खास्त अनुसेवकों ने भी मोर्चा खोल दिया। ये वे अनुसेवक थे जिन्हें पहले सेवा से हटाया गया था और जिनका मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा था। उनका कहना था कि जब तक उनका मामला स्पष्ट नहीं होता, तब तक नई बहाली करना अनुचित है।
बर्खास्त अनुसेवकों ने न सिर्फ वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर से मुलाकात की बल्कि समाहरणालय का घेराव भी किया। आंदोलन लगातार चरणबद्ध रूप में चल रहा था, और इसने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
सरकार की प्रतिक्रिया और स्थगन
संकट गहराते देख, कुछ अभ्यर्थियों ने 14 जून को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कैबिनेट बैठक के बाद ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा, “यह मामला मेरे संज्ञान में है, और इसे पूरी निष्पक्षता के साथ देखा जाएगा।”
इसके बाद, झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सार्वजनिक रूप से पुष्टि की कि फिलहाल बहाली प्रक्रिया को स्थगित किया जा रहा है। सरकार ने यह कदम युवाओं की भावनाओं, कानूनी अड़चनों और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए उठाया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी दलों ने इस स्थगन को सरकार की विफलता बताया है। उनका कहना है कि सरकार नौकरियों को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं बना पा रही है, जिससे युवा वर्ग में निराशा फैल रही है।
वहीं सत्ताधारी दल के प्रवक्ताओं ने इसे ‘जनभावनाओं का सम्मान’ बताते हुए उचित कदम बताया। उनके अनुसार, सरकार किसी भी प्रक्रिया को विवादास्पद नहीं बनाना चाहती।
सोशल मीडिया और जनभावना
इस पूरे मामले में सोशल मीडिया पर काफी चर्चा रही। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर युवाओं ने सरकार के खिलाफ कई पोस्ट और वीडियो साझा किए। #StopUnfairRecruitment और #JusticeForDismissedCandidates जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
अनेक यूट्यूब चैनलों और लोकल न्यूज़ आउटलेट्स ने भी इस विषय पर लाइव कवरेज की, जिससे सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए।
कानूनी पेच: सुप्रीम कोर्ट का प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से बर्खास्त अनुसेवकों के मामले में दिए गए आदेश का इस बहाली पर सीधा असर पड़ा। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं देता, तब तक किसी भी नई नियुक्ति को कानूनी चुनौतियाँ झेलनी पड़ सकती हैं।
आगे की राह
सरकार ने अभी बहाली को स्थगित किया है, रद्द नहीं किया। इसका मतलब है कि आने वाले समय में कुछ शर्तों और नियमों के साथ इसे फिर से शुरू किया जा सकता है। संभावित कदमों में ये शामिल हो सकते हैं:
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नई मेरिट प्रणाली का निर्धारण (उच्च शिक्षा या स्किल टेस्ट के आधार पर)
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स्थानीयता की स्पष्ट परिभाषा
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बर्खास्त अनुसेवकों के मामले का समाधान
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सभी पक्षों को शामिल करते हुए पारदर्शी प्रक्रिया की शुरुआत
निष्कर्ष
झारखंड के पलामू जिले में फोर्थ ग्रेड पदों पर बहाली का यह मामला न सिर्फ एक भर्ती प्रक्रिया है, बल्कि यह युवाओं की आकांक्षाओं, न्याय, और शासन व्यवस्था की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ विषय बन चुका है। यह जरूरी है कि सरकार इस मामले को पूरी संवेदनशीलता और नीतिगत स्पष्टता के साथ सुलझाए।
अंततः यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है और आने वाले समय में इस प्रकार की भर्तियों को लेकर क्या नीति अपनाती है।
लेखक: Prince Ranjan Shukla
प्रकाशक: crimefreeindianews.com
तिथि: 21 जून 2025
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