गढ़वा : पिछले लगभग एक महीने से गढ़वा के रंका अनुमंडल में तेंदुए का आंतक फैला है। पिछले 15 दिनों में ही तेंदुए ने तीन लोगों की जान ले ली। रविवार के तेंदुए ने पठान टोला के रहने वाले मुस्ताक खान को मार गिराया। तेंदुए को मारने का आदेश अब तक नहीं दिया गया है। वन विभाग लगातार तेंदुए को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। ऑटोमेटिक केज लगाए गये, जंगल में कई जगहों पर ड्रोन लगाया गया इसके बाद भी तेंदुए का आंतक जारी है।
वन विभाग के प्रयास अब तक असफल
एक महीने में गढ़वा और लातेहार में चार बच्चों की जान ले चुका तेंदुए पूरे इलाके के खिला बड़ा खतरा है। वन विभाग ने इस तेंदुए को आदमखोर घोषित करने के लिए लिखा है। गढ़वा जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी शशि कुमार, रंका प्रक्षेत्र के गोपाल चंद्रा और विभाग के रमाशंकर प्रसाद व राजीव पांडेय टीम के साथ तेंदुए को पकड़ने में लगे हैं। अबतक विभाग को सफलता नहीं मिली है। तेंदुआ बार- बार अपना लोकेशन बदल रहा है।
50 कैमरों से रखी जा रही है नजर
कोमंगराही गांव में पिंजरा और ट्रैपिंग कैमरे लगाए गए थे। इसी बीच एक पेंच फंस गया। विभाग का मानना था कि एक ही तेंदुआ अलग-अलग जगह बच्चोंपर हमला कर रहा है। पर, अब ड्रोन कैमरे में एक साथ तीन तेंदुए दिखे। 50 कैमरों से इलाके की निगरानी की जा रीह है। अब इन तीनों में कौन सा तेंदुआ आमदखोर है, उसकी पहचान करना विभाग के लिए चुनौती बन गया है।
पकड़ने या मारने की तैयारी में वन विभाग वन विभाग अब इस तेंदुए को पकड़ने या मारने की तैयारी कर रहा है। वन विभाग ने हैदराबाद के अधिकृत हंटर नवाब शफत अली खान से संपर्क किया है। वन विभाग की कोशिश है कि पहले तेंदुए को पकड़ा जाए। नवाब शफत अली भी इसे पकड़ने की पूरी कोशिश करेंगे। ऐसे जंगली जानवरों पर काबू पाने का अनुभव नवाब शफत अली के पास 40 साल से ज्यादा है।
गन तो है चलाने वाला एक्सपर्ट नहीं
तेंदुए को बेहोश करने के लिए वन विभाग के पास ट्रेंकुलाइजर गन तो है, लेकिन उसे चलाने के लिए झारखंड में कोई एक्सपर्ट नहीं है। कितनी मात्रा में दवा दी जाती है, गन का निशाना क्या होना चाहिए इसे लेकर भी जानकारी होनी चाहिए।
असमंजस की स्थिति
अब तक किस तेंदुए ने इन चार लोगों को मारा है उस तेंदुए की भी पहचान नहीं हो सकी है। ऐसे में किस तेंदुए को पकड़ना है या किसका शिकार करना है यह भी तय नहीं है। पीटीआर और उससे सटे इलाके में 100 से अधिक तेंदुए हैं। उसने अब तक जिन-जिन इलाकं में लोगों पर हमला किया है, वहां-वहां पिंजरा लगाया गया है। जब तक उसकी पहचान नहीं हो जाती, तब तक उसे आदमखोर घोषित करना मुश्किल होगा।
बच सकती थी जान
इसी इलाके में तेंदुए ने दो दिन पहले बीजका गांव में दो बच्चियों पर हमला किया था। इस गांव से दूसरे गांव की दूसरी लगभग 7 किमी की है। दो बच्चियों पर तेंदुआ एक साथ टूट पड़ा था। सोलन कुमारी और ऋतिका कुमारी की जान गांव वालों की तत्परता की वजह से बच गयी। जैसे ही गांव वालों ने देखा कि तेंदुए ने हमला कर दिया है, शोर मचाते हुए तेंदुए की तरफ भागे, तो तेंदुआ डरकर भाग निकला। वन विभाग के स्थानीय कर्मचारियों को इस हमले की जानकारी थी । इसके बावजूद भी सतर्कता नहीं बरती गयी।
जिम्मेदार कौन ?
गांव वाले कुछ दिनों से इस इलाके में तेंदुआ देख रहे थे। गांव वालों ने मवेशी को बचाने की ज्यादा कोशिश कीस उन्हें नहीं लगा था कि वह इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकता है। वन विभाग को तेंदुए के इस इलाके में होने की जानकारी थी लेकिन वन विभाग भी सही समय पर एक्टिव नहीं हो सका जिसकी कीमत एक पांच साल के बच्चे को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
क्यों बढ़ रहे हैं हमले
लातेहार डीएफओ कुमार आशीष ने कहा, हम इस तरह के तेंदुए को पकड़ने में सक्षम हैं। हमारे पास ऑटोमैटिक केज भी है, जिसमें आसानी से इन्हें पकड़ा जा सकता है लेकिन हमारे इलाके में कोई तेंदुआ आदमखोर नहीं है। पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में 100 से अधिक तेंदुए हैं। इस तरह की दुर्घटना बढ़ रही है लेकिन इसके पीछे की वजह है कि जंगल में उनके शिकार की संभनावाएं कम हो गयी है। पानी की समस्या भी है। इस तरफ फोकस किया जाए तो हमले कम होंगे। दूसरी वजह से हमारे पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कई गांव हैं जो क्षेत्र के अंदर है। इस वजह से भी जंगली जानवर शांत नहीं रह पाते। इस दिशा में भी सोचना चाहिए। अगर इन्हें सुरक्षित रखना है तो इस क्षेत्र के बाहर ही सुरक्षित रखा जा सकता है।
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