December 23, 2024

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आमेर के किले का निर्माण एवं इसका रोचक इतिहास

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हिन्दू- राजपूताना वास्तुशैली से निर्मित आमेर का किला राजस्थान के सबसे बड़े किलों में से एक है, जो कि जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। वहीं अगर आमेर के इतिहास और इस किले के निर्माण पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि आमेर, पहले सूर्यवंशी कछवाहों की राजधानी रह चुका है, जिसका निर्माण मीनास नामक जनजाति द्वारा करवाया गया था।

इतिहासकारों की माने तो राजस्थान के इस सबसे बड़े आमेर के किले का निर्माण 16 वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम द्वारा करवाया गया था। जिसके बाद करीब 150 सालों तक राजा मानसिंह के उत्तराधिकारियों और शासकों ने इस किले का विस्तार और नवीनीकरण का काम किया था।

इसके बाद सन् 1727 में सवाई जय सिंह द्धितीय शासन ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी राजधानी आमेर से जयपुर को बना लिया,  उस समय जयपुर की हाल ही में स्थापना की गई थी। आपको बता दें कि  जयपुर से पहले कछवाहा ( मौर्य ) राजवंश की राजधानी आमेर ही था। भारत के सबसे प्रचीनतम किलों में से एक आमेर के  किले को  पहले कदीमी महल के नाम से जाना जाता था,  इसके अंदिर शीला माता देवी का मशहूर मंदिर भी स्थित है, जिसका निर्माण राजा मान सिंह द्धारा करवाया गया था।

कुछ लोगों का मानना है कि इस किले का नाम आमेर,  भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर पर रखा गया था। जबकि, कुछ लोग आमेर किले के नाम को लेकर को ऐसा मानते हैं , कि इस किले का नाम मां दुर्गा का नाम,  अंबा से लिया गया है।

राजस्थान के इस सबसे मशहूर और भव्य किले में अलग-अलग शासकों के समय में किले के अंदर कई ऐतिहासिक संरचनाओं को नष्ट भी किया गया तो कई नई शानदार इमारतों का निर्माण किया गया,  लेकिन कई आपदाओं और बाधाओं को झेलते हुए भी आज यह आमेर का किला राजस्थान की शान को बढ़ा रहा है, एवं गौरवपूर्ण एवं समृद्ध इतिहास की याद दिलवाता है।

आमेर के किले की अनूठी वास्तुकला एवं संरचना

जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्थान के इस विशाल किले का निर्माण हिन्दू और राजपुताना शैली द्वारा किया गया है। इस किले को बाहर से देखने पर यह मुगल वास्तुशैली से प्रभावित दिखाई पड़ता है, जबकि अंदर से यह किला राजपूत स्थापत्य शैली में बना हुआ है।

यह किला मुगल और हिन्दू वास्तुशैली का नायाब नमूना है। इस किले के अंदर प्राचीन वास्तुशैली एवं इतिहास के प्रसिद्ध एवं साहसी राजपूत शासकों की तस्वीरें भी लगी हुई हैं। इस विशाल किले के अंदर बने ऐतिहासिक महल, उद्यान,  जलाशय एवं सुंदर मंदिर इसकी  खूबसूरती को दो गुना कर दते हैं।

राजस्थान के आमेर किले में पर्यटक इस किले के पूर्व में बने प्रवेश द्धार से अंदर घुसते हैं,  यह द्वार किले का मुख्य द्वार है, जिसे सूरपोल या सूर्य द्वार कहा जाता है, इस द्धार का नाम पूर्व में स्थित सूर्य के उगने से लिया गया है। वहीं इस किले के अंदर दक्षिण में भी एक भव्य द्वार बना हुआ है, जो कि चन्द्रपोल द्वार के नाम से जाना जाता है। इस द्वार के ठीक सामने जलेब चौक बना हुआ है। जहां से सैलानी महल के प्रांगण में प्रवेश करते हैं।

आपको बता दें कि आमेर किले के जलेब चौक का इस्तेमाल पर पहले सेना द्वारा अपने युद्ध के समय को फिर से प्रदर्शित करने के लिए किया गया था, जिसे महिलाएं सिर्फ अपनी खिड़की से देख सकती थी। जलेब चौक से  दो तरफ सीढ़ियां दिखाई देती हैं,  जिनमें से एक तरफ की सीढि़यां राजपूत राजाओं की कुल देवी शिला माता मंदिर की तरफ जाती हैं।

यह मंदिर इस भव्य किले के गर्भगृह में स्थापित है,  जिसका ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ अपना अलग धार्मिक महत्व भी है,  वहीं जो भी पर्यटक आमेर किले की सैर करने आते हैं, वे इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। वहीं इस किले के जलेब चौक से दिखने वाली दूसरी तरफ की सीढ़ियां सिंहपोल द्वार की तरफ जाती हैं।

वहीं इस  द्वार के पास एक बेहद आर्कषक संरचना दीवान-ए-आम बनी हुई है,  जहां पहले सम्राटों द्वारा आम जनता के लिए दरबार लगाया जाता था, जिसमें उनकी फरियाद सुनी जाती थी। पीले,  लाल बलुआ एवं संगमरमर के पत्थरों से निर्मित इस भव्य किले के दक्षिण की तरफ  गणेश पोल द्धवार स्थित है, जो कि इस किला सबसे आर्कषक और सुंदर द्वार है। इस द्वार में बेहतरीन नक्काशी एवं शानदार कारीगिरी की गई है।

वहीं इस द्दार के ऊपर भगवान गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति शोभायमान है, इसलिए आमेर किले के इस द्धार को गणेश द्धार कहा जाता है। शाही ढंग से डिजाइन किए गए राजस्थान के इस सबसे बड़े किले के अंदर जाने पर दीवान-ए-खास, सुख महल, शीश महल समेत कई ऐतिहासिक और बेहद आर्कषक संरचनाएं बनी हुई है। किले की इन संरचनाओं में भी अद्भुत कलाकारी दिखती है।

इसके साथ ही विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल इस भव्य दुर्ग में एक चारबाग शैली से बना हुआ एक खूबसूरत उद्याग भी है, जो कि इस किले की शोभा को अपनी प्राकृतिक छटा बिखेरकर और भी अधिक सुंदर बना रहा है। राजस्थान की यह प्राचीनतम राजपुताना विरासत करीब 2 किलोमीटर लंबे सुरंग मार्ग के माध्यम से जयगढ़ किला से भी जुड़ा हुआ है।

आपातकालीन स्थिति में सम्राटों के परिवारों को जयगढ़ दुर्ग तक पहुंचाने के लिए इस सुरंग का निर्माण किया गया था। इस किले के पास से जयगढ़ दुर्ग और इसके आसपास का बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध दुर्गों में से एक आमेर के किले की सुंदरता और भव्यता को देखने हर साल भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

आमेर किले के प्रमुख आर्कषण एवं दर्शनीय स्थल

राजस्थान के इस विशाल दुर्ग के अंदर बने कुछ महत्वपूर्ण संरचनाएं निम्नलिखित हैं

दीवान-ए-आम

जयपुर की अरावली पहाड़ी पर स्थित इस विशाल दुर्ग के परिसर में बनी ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण संरचनाओं में दीवान-ए-आम बेहद खास है। इसका निर्माण राजा जय सिंह द्धारा किया गया था। दीवान-ए-आम, को आम जनता के लिए बनाया गया था, इस भव्य हॉल में सम्राटों द्धारा आम जनता की समस्याएं सुनी जाती थी और उसका निस्तारण किया जाता है।

इस खास ऐतिहासिक संरचना को शीशे के पच्चीकारी काम के साथ बेहद शानदार नक्काशीदार स्तंभों के साथ बनाया गया है। इस हॉल में  बेहद आर्कषक 40 खंभे बने हुए हैं, जिसमें से कुछ संगमरमर के भी हैं, वहीं इस खंभों पर बेशकीमती स्टॉन्स लगे हुए हैं। इस खास ऐतिहासिक इमारत के पत्थरों पर अलग-अलग बेहद सुंदर चित्रों की मूर्तियां खुदी हुई हैं।

सुख निवास

राजस्थान के इस विशाल किले के अंदर बने दीवान-ए-आम के ठीक सामने बेहद सुंदर सुख निवास बना हुआ है, जो कि इस किले के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। सुख निवास के दरवाजे चंदन के हैं, जिसे हाथी के दांतो से सजाया गया है।

इतिहासकारों की माने तो इस किले के परिसर में बने सुख निवास में सम्राटों अपनी रानियों के साथ अपना कीमती समय बिताते थे। इसी वजह से इसे सुख निवास के रुप में जाना जाता है। सुख निवास की अद्भुत कलाकारी और बेहतरीन नक्काशी पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ खींचती है।

शीशमहल

विश्व धरोहर की सूची में शामिल आमेर के इस विशाल किले के अंदर बना शीश महल, यहां के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। इस महल को कई सुंदर दर्पणों से मिलकर बनाया गया है। शीश महल को बेहद अनूठे तरीके से निर्मित किया गया है, शीश महल के अंदर जब कुछ प्रकाश की किरण पड़ती है, तब पूरे हॉल में रोशनी हो जाती है। शीश महल की खास बात यह है कि इसे प्रकाशित करने के लिए सिर्फ एक मोमबत्ती की रोश्नी ही काफी है।

गणेश पोल

गणेश पोल, भी आमेर के इस विशाल किले में बनी मुख्य ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक है। किले के अंदर बने दीवान-ए-आम के दक्षिण की तरफ  गणेश पोल स्थित है। गणेश पोल का निर्माण राजा जय सिंह द्धितीय ने करीब 1611 से 1667 ईसवी के बीच करवाया था।

गणेश पोल, राजस्थान की शान माने जाने वाले इस विशाल दुर्ग के बने 7 बेहद आर्कषक औऱ सुंदर द्धारों में से एक है। इस शानदार द्धार के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि, जब कोई भी सम्राट किसी युद्द को जीतकर आते हैं, किले के इस मुख्य द्धार से प्रवेश करते थे, जहां फूलों की वर्षा के साथ राजाओं का स्वागत किया जाता था।

किले के इस आर्कषक द्दार को बेहद शानदार तरीके से सजाया गया है , इस द्धार में ऊपर के हिस्से में गणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है, जिसकी वजह से इसे गणेश पोल कहा जाता है।

चांद पोल दरवाजा

जयुपर के पास स्थित इस विशाल आमेर दुर्ग में बना चांद पोल दरवाजा भी इस किले की प्रमुख ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक माना जाता था। चांद पोल दरवाजा, पहले आम लोगों के प्रवेश के लिए था। यह आर्कषक दरवाजा, इस विशाल किले के पश्चिम की तरफ बना हुआ है, वहीं इस दिशा में चंद्रमा उदय की वजह से इसका नाम चांद पोल रखा गया था।

इस आर्कषक पोल के सबसे ऊपरी मंजिल में नौबतखाना बना था, जिसमें ढोल, नगाड़े एवं तबला समेत कई संगीत एवं वाद्य यंत्र बजाए जाते थे।

दिल आराम बाग

राजस्थान के इस सबसे विशाल दुर्ग के अंदर बना दिल आराम बाग इस किले की शोभा को और अधिक बढा़ रहा है। इस शानदार बाग का निर्माण करीब 18 वीं सदी में किया गया था। इस रमणीय बाग में सुंदर सरोवर, फव्वारे  बनाए गए हैं। दिल आराम बाग की सुंदरता को देखकर हर कोई मंत्रुमुग्ध हो जाता है। इसका रमणीय आर्कषण दिल को सुकून देने वाला है, इसलिए इसका नाम दिल आराम बाग रखा गया है।

देवी शिला माता मंदिर

राजस्थान के इस विशाल दुर्ग के अंदर एक प्रसिद्ध शिला माता मंदिर स्थित है। इस मंदिर को राज मान सिंह द्धारा बनवाया गया था।  इस आर्कषित मंदिर को सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि महान राजा मान सिंह इस मंदिर की मूर्ति को बंगला से लेकर आए थे।

जबकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि, केदार राजा ने जब महाराजा मानसिंह से अपनी बेटी की शादी की थी, तब उन्हें साथ में यह मूर्ति भी दी थी। फिलहाल, आमेर किले के परिसर में स्थित इस मंदिर से हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है । इस मंदिर के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि, इस मंदिर  में  सच्चे मन से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूर्ण होती हैं।

दीवान-ए-खास

दीवान-ए-खास भी इस भव्य किले के प्रमुख ऐतिहासिक संरचनाओं और आर्कषणों में से एक है।  यह मनोरम संरचना मुख्य रुप से सम्राटों के मेहमानों द्धारा बनवाईं गईं थी, इसमें सम्राट अपने खास मेहमानों एवं दूसरे राजाओं के राजदूतों से मिलते थे।

आमेर के किले से जुड़े रोचक तथ्य

राजस्थान के इस सबसे विशाल आमेर के किले को 16 वीं शतब्दी में राजा मानसिंह द्धारा बनवाया गया था।इस विशाल किले का नाम अंबा माता के नाम पर रखा गया था।

हिन्दू एवं मुगलकालीन वास्तुशैली से निर्मित यह अनूठी संरचना अपनी भव्यता और आर्कषण की वजह से साल 2013 में यूनेस्को द्धारा वर्ल्ड हेरिटेज की साइट में शामिल की गई थी।

भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक इस आमेर के किले के परिसर में बनी महत्वपूर्ण संरचनाओं में शीश महल, दीवान-ए-आम, सुख निवास आदि शामिल हैं।

जयपुर के पास स्थित इस विशाल किले का निर्माण विशेष तौर पर राजशाही परिवार के रहने के लिए किया गया था। इस किले के परिसर में बनी ऐतिहासिक संरचनाओं में शीश महल सबसे मुख्य है। जो कि अपनी अद्भुत नक्काशी के लिए जाना जाता है, इसके साथ ही शीश महल दुनिया का सबसे बेहतरीन कांच घर भी माना जाता है।

जयपुर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आमेर का किला कई शताब्दी पूर्व कछवाहों की राजधानी हुआ करती थी, लेकिन जयपुर शहर की स्थापना के बाद, नवनिर्मित शहर जयपुर कछवाहों की राजधानी बन गई थी।

आमेर के इस विशाल दुर्ग के अंदर 27 कचेहरी नामक एक भव्य इमारत भी बनी हुई है, जो कि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।

भारत के महत्वपूर्ण किलों में शामिल आमेर के किले के सामने माओटा नामक एक बेहद खूबसूरत और आर्कषक झील भी है, जो कि इस किले की शोभा को और अधिक बढ़ा रही है।

साल 2007 के आंकड़े के मुताबिक उस साल यहां करीब 15 लाख से ज्यादा पर्यटक आमेर के किले की खूबसूरती को देखने आए थे।

इस विशाल दुर्ग के अंदर ही पर्यटकों के लिए एक आर्कषक बाजार भी लगता है, जहां पर सैलानी रंग-बिरंगे पत्थर एवं मोतियों से बनी वस्तुओं के अलावा आर्कषक हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं।

राजस्थान के इस सबसे आर्कषित और महत्वपूर्ण किले में बॉलीवुड एवं हॉलीवुड की कई सुपरहिट फिल्मों की भी शूटिंग की जा चुकी है, जिसमें बॉलीवुड फिल्म बाजीराव मस्तानी, शुद्ध देसी रोमांस, मुगले आजम, भूल भुलैया, जोधा अकबर आदि शामिल हैं। वहीं हॉलीवुड फिल्मों में द बेस्ट एग्ज़ॉटिक मॅरिगोल्ड होटल, नार्थ वेस्ट फ़्रन्टियर आदि शामिल हैं।

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