December 20, 2024

क्राइम फ्री इंडिया न्यूज

छिपायंगे नहीं दिखाएंगे

घटिया और अँधा कानून पढ़ने वाले जज लगता है घुश देकर जज बने हैं , दुसरो को फैसला सुनाने से पहले आप ताजमहल पर रिसर्च कर लीजिये और अगर MA , PHD करने के बाद घुश्खोर जज के पास ही जायेंगे क्या…

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ताज महल केस में याचिकाकर्ता को कोर्ट ने फटकार लगाया , कहा- जाकर करें रिसर्च…MA-PhD करें, फिर आएं हमारे पास अब जज को कौन समझाए की MA , PHD करने के बाद घुश्खोर जज के पास ही जायेंगे क्या जो अंग्रेजो का बनाया हुआ कानून मानता है ।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि आप आखिरकार किससे जानकारी मांग रहे हैं? इस पर वकील ने कहा कि वह इस बाबत अफसरों से यह चीजें जानना चाह रहे हैं।

ताज महल से जुड़ी एक याचिका पर गुरुवार (12 मई, 2022) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि जाकर पहले रिसर्च करिए। पढ़िए, एमए और पीएचडी करिए…अगर कोई ऐसे विषय पर रिसर्च में दाखिला देने से मना करे, तब वह कोर्ट के पास आएं।

कोर्ट ने साफ कहा, “आप जनहित याचिका (पीआईएल) व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। ताजमहल किसने बनवाया पहले जाकर रिसर्च करिए। विश्वविद्यालय जाइए। पीएचडी करिए…पढ़ाई के बाद कोर्ट आइएगा।” अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इतिहास याचिकाकर्ता के मुताबिक पढ़ा जाएगा?

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी दरख्वास्त की थी कि वह ताज महल के अंदर जाकर चीजें देखना चाहते हैं। बकौल पीटिशनर, “कृपया, मुझे वहां के कमरों को जाकर देखने की अनुमति दे दें।” याचिकाकर्ता की इस गुजारिश पर कोर्ट ने सख्त लहजे में जवाब दिया और कहा- कल आप आएंगे और हमसे कहेंगे कि आप हमें सम्मानित जजों के चैंबरों में भी जाने दीजिए?

दरअसल, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि हमें कई कमरों के बारे में पता चला है, जो कि लॉक हैं। अफसरों ने कहा है कि वे कमरे सुरक्षा कारणों से लॉक हैं। अगर ताज महल में चीजें छिपी हैं, तो उन्हें सार्वजनिक होना चाहिए।

आगे याचिकाकर्ता ने आरटीआई (सूचना के अधिकार) अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें यह जानने का अधिकार है कि आखिरकार ताज महल के अंदर उन 22 कमरों में क्या है? इस पर जवाब में कोर्ट ने कहा- हम आखिरकार इसके आधार पर कैसे फैसला दे सकते हैं? आपका क्या अधिकार है? यह राइट (अधिकार) कहां है?

जिस याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में फिर सुनवाई हुई, उसमें मांग की गई थी है कि ताज महल के जो 22 दरवाजे बंद हैं, उन्हें दोबारा खोला जाए। गुरुवार दोपहर कोर्ट ने ताज के भीतर उन कमरों को खोलकर सर्वे से जुड़ी याचिका को ठुकरा दिया। वहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा के एक कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह चार माह में सभी अर्जियों का निपटारा कर दे।

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